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    समाचार एवं घटनाक्रम

  • राष्ट्रीय सीमेंट एवं भवन सामग्री परिषद में आपका स्वागत है

    राष्ट्रीय सीमेंट एवं भवन सामग्री परिषद् (एनसीबी), तत्कालीन भारतीय सीमेंट अनुसंधान संस्थान (सीआरआई) की स्थापना 24 दिसंबर 1962 को सीमेंट और निर्माण सामग्री व्यापार और उद्योग से जुड़े अनुसंधान और वैज्ञानिक कार्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।

    आज, एनसीबी, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत प्रमुख निकाय है, जो सीमेंट और निर्माण उद्योगों के लिए प्रौद्योगिकी विकास एवं हस्तांतरण, सतत् शिक्षा और औद्योगिक सेवायें प्रदान करने का कार्य करती है।

    एनसीबी का मुख्य केंद्र और प्रयोगशालाएँ बल्लभगढ़ (नई दिल्ली के पास) में स्थित हैं; हैदराबाद (तेलंगाना) में एक सुस्थापित क्षेत्रीय केंद्र और अहमदाबाद (गुजरात) एवं भुवनेश्वर (ओडिशा) में अन्य इकाइयाँ स्थापित हैं।

    एनसीबी का कार्य सीमेंट उत्पादन और उसके उपयोग के संपूर्ण क्षेत्रों तक फैला हुआ हैं। कच्चे माल का भूवैज्ञानिक अन्वेषण से शुरु करके प्रक्रियाओं, मशीनरी, विनिर्माण पहलुओं, ऊर्जा और पर्यावरण संबंधी विषय, निर्माण में सामग्रियों के उपयोग एवं इमारतों और संरचनाओं की स्थिति की निगरानी और पुनर्वास करना, एनसीबी के मुख्य कार्यो में शामिल हैं।

    एनसीबी, भारत सरकार को सीमेंट उद्योग की वृद्धि और विकास से संबंधित गतिविधियाँ के लिए नीति और योजना तैयार करने हेतु आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए केंद्रक संस्था (नोडल एजेंसी) के रूप में कार्य करती है। एनसीबी, देश में सीमेंट और कंक्रीट उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए समर्पित है। एनसीबी के हितधारक में सरकार, उद्योग और समाज शामिल हैं, जो एनसीबी की भूमिका को राष्ट्रीय उत्तरदायित्व का निर्वहन करने, पर्याप्त प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के रूप में क्रमश: देखते हैं।

    हमारी भूमिका को एनसीबी के दृष्टिकोण और उद्देश्यों में सर्वोत्तम रूप से संक्षेपित किया जा सकता है।

    एनसीबी का दृष्टिकोण

    सीमेंट और निर्माण क्षेत्र के लिए बेहतर आधारभूत संरचना और आवास के सतत् विकास में मुख्य प्रौद्योगिकी सहभागी बनना मुख्य लक्ष्य है।

    एनसीबी का उद्देश्य

    नवीन प्रौद्योगिकियों का अनुसंधान और विकास करके, सीमेंट और निर्माण उद्योग की भागीदारी के साथ उनका हस्तांतरण एवं कार्यान्वयन करना। जिसमें निहित है -

    • गुणवत्ता, उत्पादकता और लागत-प्रभावशीलता में वृद्धि करना
    • सामग्री, ऊर्जा और पर्यावरण संसाधनों के प्रबंधन में सुधार करना
    • मानव संसाधनों में क्षमता और उत्पादकता विकसित करना
    • बेहतर बुनियादी ढांचे और किफायती आवास के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करना।ा

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